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Agarwal Samaj Vapi About Agarwals

अग्रवाल .... 

अग्रवालो के बारे मे एक सुक्ष्म जानकारी :- 

इतिहासकारों का मत है की भारत की अनेक जातिओं का उद्भव प्राचीन गणराज्यों के जनपदों से हुआ है | इसी के अनुरूप माना जाता है कि अग्रवाल जाति का उद्भव आग्रेय (अग्रोहा) नामक जनपद से हुआ और यहीं से अग्रवाल भारत के भिन्न भिन्न भागों में फैले ।
अग्रवाल शब्द की उत्पति के बारे में भिन्न-भिन्न मतकारों के भिन्न-भिन्न मत हैं अग्रोहा के निवासी होने के कारण और बाद में अलग अलग स्थानों पर जाने पर इनको अग्रोहा वाले के नाम से संबोधित किया गया जो शब्द बाद में चलकर अग्रवाल हो गया । 

दूसरे मन्तव्य के अनुसार अग्रसेन - अग्रोहा अग्रवाल सभी में अग्र शब्द की प्रधानता है जिसका अर्थ होता है अग्रणी , इस अग्र शब्द से सदा आगे रहने वाली जाति के लोग अग्रवाल कहलाए, जिसका अर्थ होता है सदैव आगे रहने वाले । 

अग्रवाल समुदाय जन्म से वैश्य नही है, यह अपने गुण कर्म से कारण वैश्य कहलाते है । प्रारम्भिक काल में अग्रवालों की मुख्य आजीविका कृषि, पशुपालन और व्यापार होता था , परन्तु कालान्तर में वाणिज्य की तरफ ज़्यादा झुकाव होने के कारण इस समुदाय का मुख्य व्यवसाय व्यापार हो गया , आज भी कुछ अग्रवाल खेतीहर हैं । 

अग्रवाल समाज केवल अग्रवाल शब्द के उपनाम से ही नहीं सम्बोधित किए जाते है, इसके इलावा भी कई अन्य उपनमों से जाने जाते है जैसे, 

बनिया : जो सभी कार्यों को बनाने की क्षमता रखता हो , जो सब का बन सकता और सब को अपना बना सकता हो । 
वणिक : वणज व्यापार करने के कारण । 
सेठ (श्रेष्ठि) : समाज में श्रेष्ठ आचरण के कारण । 
महाजन : जनों में विशिष्ठ, महान स्थान रखने वाला । 
वैश्य : प्रत्येक क्षेत्र में प्रवेश के कारण, गतिशील होने के कारण । 
गुप्त / गुप्ता : व्यापारिक गूढता को बनाए रखने के कारण । 
शाह : बड़ा - महान - साहुकार । 
अग्रवाल : जो सर्वदा सब कार्यों में अग्रणी रहे । 
अग्रवाल जाति के लोग धर्म परायण, शाकाहारी और अपने ईष्ट देव भगवान में इनका अटूट विश्वास होता है ,पूजा पाठ इनके दैनिक जीवन का अंग है , देवी महालक्ष्मी के उपासक और दान व कर्तव्य परायण होते हैं , कर्म में इनका विश्वास होता है , अग्रवालों में उन्‍नत संतति हो इस सिद्धांत को ध्यान में रख कर आदि काल से ही सह गोत्रीय विवाह निषेध है । 

अग्रवालों के १८ गोत्र निम्न है :- 
१ गर्ग २ गोयल ३ कुच्छल ४ कंसल ५ बिंदल ६ धारण ७ सिंधल ८ जिंदल ९ मित्तल १० तिंगल ११ तायल १२ बंसल १३ भंदल १४ नांगल १५ मंगल १६ ऐरण १७ मधुकुल १८ गोयन / गंगल
 
अग्रवाल लोग अपने नाम के साथ अपने परिवारों के उपनमो का भी प्रयोग करते है जैसे जालान, पौद्दार, सिंघानिया, झुनझुनवाला, सुरेका, बुबना, सुल्तानिया, मोदी, बजाज, सेक्सरिया, हरलालका, खेतान आदि। 

अग्रवाल समाज के प्रत्येक सदस्य में महाराजा अग्रसेन का समाजवाद रग - रग में प्रवाहित हो रहा है, इसी कारण से हर अग्रवाल उदार, निष्ठावान, कर्मठ व्यक्ति के रूप में अपनी भूमिका निभाता रहा है ।  

" सादा जीवन उच्च विचार " वाली कहावत हमेशा उस पर चरितार्थ रही है , जो भी उनके पास बचता रहा है उसे उदारतापूर्वक पर हित के लिए अर्पित करते रहते हैं, 
गर्व है कि हम अग्रवाल है।